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29 Jan 2023 · 1 min read

गजल

मासूम जिंदगी के अरमान बहुत हैं.
हमदर्द नहीं कोई इंसान बहुत हैं।

खुदगर्जी में इंसानियत भी खो गई कहीं।
चंद दिन की जिंदगी अरमान बहुत हैं.

वो समझ के भी ना समझे नादान बहुत है
संभल ऐ दिल इश्क में जंजाल बहुत है।

Language: Hindi
Tag: कविता
29 Views
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