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24 Oct 2022 · 1 min read

गं गणपत्ये! जय कमले!

गं गणपत्ये!
विघ्न हर ले,
डिगूँ न कर्म से,
बुद्धि – वर दे,

मां कमले!
तम हर ले,
अज्ञान दूर कर
ज्ञान भर दे,

ज्ञान मनुज का
है आभूषण,
बुद्धि; धन का
करता आवाहन,

धन से वैभव
और प्रतिष्ठा,
बढ़ता संस्कार
कर्तव्यनिष्ठा,

मंत्रमुग्ध हम,
उन किसान सम,
जिनके खेतों में
हरियाली,

भाग्य हमारे
जगमग जैसे
दिन दशहरा,
रात दिवाली।

मौलिक व स्वरचित
©® श्री रमण
बेगूसराय (बिहार)

Language: Hindi
Tag: कविता
6 Likes · 10 Comments · 132 Views
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