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12 Nov 2022 · 1 min read

गंगा जी में गए नहाने( बाल कविता)

गंगा जी में गए नहाने( बाल कविता)
___________________________
गंगा जी में गए नहाने
डुबकी एक लगाई,
ठेले पर बिक रही जलेबी
जीभ देख ललचाई।।

मम्मी बोलीं” धूल भरी यह “-
कहकर नहीं खिलाई ,
मजा आ गया लेकिन खिचड़ी
भंडारे में पाई ।।

मिला साथ में दूध ढेर था
जिसमें पड़ी मलाई।।
—- …——————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 97 61 5451

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