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16 Aug 2022 · 1 min read

खड़े सभी इक साथ

झुनझुनवाला सेठ जी, चले गए परदेश
ख़ाली हाथ गए उधर, चिट्ठी ना सन्देश

चिट्ठी ना सन्देश, साथ ना जाये पैसा
राजा हो या रंक, अंत सबका इक जैसा

महावीर कविराय, वहाँ ना गड़बड़झाला
खड़े सभी इक साथ, भिखारी झुनझुनवाला

•••

1 Like · 129 Views

Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali

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