Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Aug 2021 · 1 min read

ख्वाबों को हकीकत में बदल दिया

ख्वाबों को हकीकत में बदल दिया जाए,
जो थी अधूरी दास्तां पूरा कर दिया जाए ।
अब हवाएं बह रही है अंतर्मन के जुनून की,
अभी शहर की हालत को बदल दिया जाए।।

1 Like · 274 Views
You may also like:
"काहे का स्नेह मिलन"
Dr Meenu Poonia
बाल कविता हिन्दी वर्णमाला
बाल कविता हिन्दी वर्णमाला
Ram Krishan Rastogi
अपनी लकीर बड़ी करो
अपनी लकीर बड़ी करो
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
विचारमंच भाग -2
विचारमंच भाग -2
Rohit Kaushik
याद तो हैं ना.…...
याद तो हैं ना.…...
Dr Manju Saini
चरैवेति चरैवेति का संदेश
चरैवेति चरैवेति का संदेश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
जिंदगी भर हमारा साथ रहे जरूरी तो नहीं,
जिंदगी भर हमारा साथ रहे जरूरी तो नहीं,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
इतिहास
इतिहास
श्याम सिंह बिष्ट
विश्व रंगमंच दिवस पर....
विश्व रंगमंच दिवस पर....
डॉ.सीमा अग्रवाल
हम भी कहेंगे अपने तजुरबात पे ग़जल।
हम भी कहेंगे अपने तजुरबात पे ग़जल।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
क्यों सोचता हूँ मैं इतना
क्यों सोचता हूँ मैं इतना
gurudeenverma198
साँसों का संग्राम है, उसमें लाखों रंग।
साँसों का संग्राम है, उसमें लाखों रंग।
सूर्यकांत द्विवेदी
ऐसी थी बे'ख़याली
ऐसी थी बे'ख़याली
Dr fauzia Naseem shad
ऊँच-नीच के कपाट ।
ऊँच-नीच के कपाट ।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
-------ग़ज़ल-----
-------ग़ज़ल-----
प्रीतम श्रावस्तवी
प्यार की तड़प
प्यार की तड़प
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
*पागलपन है चाकू-छुरियाँ, दंगा और फसाद( हिंदी गजल/गीतिका)*
*पागलपन है चाकू-छुरियाँ, दंगा और फसाद( हिंदी गजल/गीतिका)*
Ravi Prakash
अब रुक जाना कहां है
अब रुक जाना कहां है
कवि दीपक बवेजा
💐प्रेम कौतुक-517💐
💐प्रेम कौतुक-517💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Tum bina bole hi sab kah gye ,
Tum bina bole hi sab kah gye ,
Sakshi Tripathi
केवल आनंद की अनुभूति ही जीवन का रहस्य नहीं है,बल्कि अनुभवों
केवल आनंद की अनुभूति ही जीवन का रहस्य नहीं है,बल्कि...
Aarti Ayachit
अन्तिम करवट
अन्तिम करवट
Prakash juyal 'मुकेश'
बेटियों तुम्हें करना होगा प्रश्न
बेटियों तुम्हें करना होगा प्रश्न
rkchaudhary2012
प्यासा का शायर
प्यासा का शायर
Shekhar Chandra Mitra
जय जय जय जय बुद्ध महान ।
जय जय जय जय बुद्ध महान ।
Buddha Prakash
ग़ज़ल। आदमी बिसर जाएगा
ग़ज़ल। आदमी बिसर जाएगा
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
इक क्षण
इक क्षण
Kavita Chouhan
✍️और शिद्दते बढ़ गयी है...
✍️और शिद्दते बढ़ गयी है...
'अशांत' शेखर
समाज या परिवार हो, मौजूदा परिवेश
समाज या परिवार हो, मौजूदा परिवेश
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
■ व्यंग्य / जंगल-बुक
■ व्यंग्य / जंगल-बुक
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...