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29 Nov 2024 · 1 min read

खोने को कुछ भी नहीं,

खोने को कुछ भी नहीं,
फिर तू क्यों बेचैन ।
आखिर फिर क्या ढूँढते,
जग में तेरे नैन ।।

सुशील सरना / 29-11-24

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