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9 Aug 2021 · 1 min read

खेत आली रोटी

घणी याद आवैं वे खेत आळी रोटी
आम के अचार की फाड़ मोटी मोटी

हम बहुत साथ खेले,बहुत देखे मेळे
बहुत याद आवैं सैं वो दोस्तां के रेळे

बचपन सुहाना वो बचपन की यादें
बचपन की कसमें वे बचपन के वादे

जब कदे हम अपणे गाम में जाते हैं
तै पुराणे दिन भोत घणे याद आते हैं
शीला गहलावत”सीरत”
चण्डीगढ़, हरियाणा

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