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26 Sep 2023 · 1 min read

खुद से मिल

हमारे बाद भी चलती रहेगी बहारें
शोर करेगी हवाऐं
पंछी भी क्षितिज की ओर उड़ानें भरेंगे
नदियां सागर से मिलेगी
मिलन के गीत गाए जाएगे
ओर हमको एक दिन भुला दिया जाएगा
तो
दिल खोल के खुद से मिल
बहारों से धुन चुरा
हवाओं के संग बह जा
पंछी की तरह क्षितिज तक जा
एक नदियां सी प्यास जगा
जा सागर से मिल के आ
मिलन के गीत तू भी गा
कुछ पल के लिए ही सही पर
दुनिया को भूल जा
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)

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