Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Feb 2023 · 1 min read

खुद को संभालो यारो

उसने भी देखा, हमने भी देखा
उसके बिन ये ज़िंदगी कुछ नहीं है
जो साथ चलने को हो वो राज़ी
इससे बेहतर कोई बात नहीं है

दिल में आए, फिर बस गए वो
मगर वो आज मेरे साथ नहीं है
है बड़ी विडंबना की बात ये तो
दिल में जो बसे, वो साथ नहीं है

क्या करते, क्या न करते हम
इस बात से कोई फर्क ही नहीं है
उसको तो जाना ही था छोड़कर
जब वो मेरे नसीब में ही नहीं है

नसीब बनाए भी कैसे हम
जब उसकी रज़ा ही नहीं है
है ये कैसी मोहब्बत जिसमें
बेवफ़ा को सज़ा ही नहीं है

सज़ा मिलती है सच्चे प्यार को
बेवफ़ा को तो कोई फर्क ही नहीं है
बैठे रहते है आंसू बहाने अकेले में जो
किसी को उनकी फिकर ही नहीं है

कैसे कटेगा ये जीवन उनका
कहीं रोना ही उनकी किस्मत तो नहीं है
संभालो यारों खुद को स्वयं ही तुम
बदलने वाला लगता ये मंज़र तो नहीं है

छोड़कर मयखाने का रास्ता
किसी की आंखों में क्यों नशा ढूंढता नहीं है
डूब जाता है जब उसमें कोई एक बार
वो ज़िन्दगी में फिर कभी डूबता नहीं है।

Language: Hindi
5 Likes · 2 Comments · 1068 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia! Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

Books from सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'

You may also like:
खुद को अपडेट करो - संघर्ष ही लाता है नया वर्ष।
खुद को अपडेट करो - संघर्ष ही लाता है नया वर्ष।
Rj Anand Prajapati
जाते-जाते भी नहीं, जाता फागुन माह
जाते-जाते भी नहीं, जाता फागुन माह
Ravi Prakash
इस क्षितिज से उस क्षितिज तक देखने का शौक था,
इस क्षितिज से उस क्षितिज तक देखने का शौक था,
Smriti Singh
सफ़र है बाकी (संघर्ष की कविता)
सफ़र है बाकी (संघर्ष की कविता)
Dr. Kishan Karigar
कैसे भुल जाऊ उस राह को जिस राह ने मुझे चलना सिखाया
कैसे भुल जाऊ उस राह को जिस राह ने मुझे चलना सिखाया
Shakil Alam
"दुनियादारी के रिश्तों की पींग मिज़ाजपुर्सी से मातमपुर्सी तक
*Author प्रणय प्रभात*
हर सुबह उठकर अपने सपनों का पीछा करना ही हमारा वास्तविक प्रेम
हर सुबह उठकर अपने सपनों का पीछा करना ही हमारा वास्तविक प्रेम
Shubham Pandey (S P)
सुप्रभातं
सुप्रभातं
Dr Archana Gupta
जै जै जग जननी
जै जै जग जननी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
2324.पूर्णिका
2324.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
दोस्ती तेरी मेरी
दोस्ती तेरी मेरी
Surya Barman
करीब हो तुम मगर
करीब हो तुम मगर
Surinder blackpen
💐प्रेम कौतुक-204💐
💐प्रेम कौतुक-204💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मजदूर
मजदूर
umesh mehra
अतिथि की भांति
अतिथि की भांति
Dr fauzia Naseem shad
🌿🍀🌿🍀🌿🍀🌿🍀🌿🍀🌿🍀🌿🍀
🌿🍀🌿🍀🌿🍀🌿🍀🌿🍀🌿🍀🌿🍀
subhash Rahat Barelvi
लगन लगे जब नेह की,
लगन लगे जब नेह की,
Rashmi Sanjay
आज का भारत
आज का भारत
Shekhar Chandra Mitra
दांतो का सेट एक ही था
दांतो का सेट एक ही था
Ram Krishan Rastogi
एक तुम्हारे होने से...!!
एक तुम्हारे होने से...!!
Kanchan Khanna
शेयर मार्केट में पैसा कैसे डूबता है ?
शेयर मार्केट में पैसा कैसे डूबता है ?
Rakesh Bahanwal
कितने इनके दामन दागी, कहते खुद को साफ।
कितने इनके दामन दागी, कहते खुद को साफ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
तुमसे मोहब्बत हमको नहीं क्यों
तुमसे मोहब्बत हमको नहीं क्यों
gurudeenverma198
🙋बाबुल के आंगन की चिड़िया🙋
🙋बाबुल के आंगन की चिड़िया🙋
Arise DGRJ (Khaimsingh Saini)
समझदारी का तो पूछिए ना जनाब,
समझदारी का तो पूछिए ना जनाब,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
यह जो मेरी वीरान सी आंखें है..
यह जो मेरी वीरान सी आंखें है..
कवि दीपक बवेजा
शिशिर ऋतु-३
शिशिर ऋतु-३
Vishnu Prasad 'panchotiya'
धूर अहा बरद छी (मैथिली व्यङ्ग्य कविता)
धूर अहा बरद छी (मैथिली व्यङ्ग्य कविता)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
माँ!
माँ!
विमला महरिया मौज
हम बिहार छी।
हम बिहार छी।
Acharya Rama Nand Mandal
Loading...