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30 Jan 2023 · 1 min read

खुद को मूर्ख बनाते हैं हम

खुद को मूर्ख बनाते हैं हम।
आंसूओं संग मुस्कराते हैं हम।

शिद्दत ए दर्द जब भी बढ़ा
खुद को देर तक हंसाते हैं हम।

तल्खियां जिंदगी की कम नहीं
इसको और तल्ख़ बनाते हैं हम।

हकीकत से आंखें बंद करके
सपने नये नित सजाते हैं हम।

वृद्धाश्रम छोड़ कर मां बाप
मंदिर में दान कर आते हैं हम।

औलाद को हर सुख हम दे पाये
कैसे भी हो पैसा कमाते हैं हम।

और कितना अब हम गिरेंगे
खुद को अब पाताल में पाते हैं हम।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
54 Views
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