*”खुद को तलाशिये”*

*खुद को खुद ही में तलाशिये*
*अंतरात्मा पुकार रही है।*
*झकझोर कर जगा उठाती,*
*एक बार दूर से बुलाती है।*
*चल कहीं दूर गगन के तले जमीन से ऊपर,*
*आसमाँ अविरल निर्मल जल ह्रदय में बरसा रही है।*
*चले आओ आँख बंद करके यूँ ही,*
*कुछ देर मौन धारण कर चुपचाप बैठे सुकून ढूंढ लिया है।*
*छोड़ दो कुछ देर सारे संसार की बातों को,*
*बेचैन मन को कहीं और बहला फुसला कर चेतन आनंद ढूंढ़ लिया है।*
*रहने दो सारे गिले शिकवे भूली बिसरी बातों को,*
*नई दिशा में नए अंदाज में जीने का बहाना बना लिया है।*
*शशिकला व्यास* ✍️