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18 Apr 2020 · 1 min read

खुद के करीब

एक दिन इत्तेफाक से खुद ,के करीब हम आ गए
देख अपने आप को, हम मन ही मन शरमा गए
हमने पूछा आत्मा से ,कैसे हो तुम क्या हाल हैं
पहले तो वह कुछ भी न बोली ,फिर कहा बेहाल हैं
करते रहे पर दोष दर्शन ,आज कैसे आ गए
करते रहे मेरा भी मर्दन, आज क्यों घबरा गए
कितने किए हैं पाप ,और पुण्य है कितने किए
कितना लिया समाज से वापसी कितना किए
कितना भरा है पाप दिल में ,प्यार है कितना भरा
देख लो भरपूर दिल में, अंदर छुपा कर क्या रखा
कितने देखें बसंत ,और कितनी देखी दीबाली
कितने अंदर से भरे हुए ,और कितने हो खाली
न मुझसे अच्छा दर्पण है ,न तुम समान देखन हारा
बचे हुए इस समय में, काम करो कोई प्यारा प्यारा

Language: Hindi
Tag: कविता
9 Likes · 3 Comments · 681 Views

Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी

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