*खिलती उसकी जिंदगी , पाई जिसने हार (कुंडलिया)*

खिलती उसकी जिंदगी , पाई जिसने हार (कुंडलिया)
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खिलती उसकी जिंदगी , पाई जिसने हार
असफलता में है छिपी , संघर्षों की धार
संघर्षों की धार , युद्ध लड़ना आ जाता
कठिनाई के बीच , धैर्य से जुड़ता नाता
कहते रवि कविराय ,हार से नव-गति मिलती
चलता जो दिन-रात ,नियति उसकी है खिलती
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451