खाना-कमाना सीखिगा, चोरियॉं अच्छी नहीं (हिंदी गजल/ गीतिका)

* खाना-कमाना सीखिएगा, चोरियाँ अच्छी नहीं【हिंदी गजल/गीतिका 】* ■■■■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
खाना-कमाना सीखिएगा ,चोरियाँ अच्छी नहीं
घर में ठुँसी नोटों की काली, बोरियाँ अच्छी नहीं
(2)
भाने लगे टी.वी. के गाने, स्वाद बिगड़ा इस तरह
कह रहे बच्चे हैं माँ से, लोरियाँ अच्छी नहीं
(3)
तारीफ के पुल न सही तो, कुछ तो लिख के भेजिए
यों इस तरह से आपकी अब, चुप्पियाँ अच्छी नहीं
(4)
मित्रता यह फेसबुक की, कम ही बढ़नी चाहिए
हर व्यक्ति कहता है कि यह, नजदीकियाँ अच्छी नहीं
(5)
जिनका कनेक्शन आज तक, “उससे” न जुड़ पाया कभी
कह रहे वह धर्मगुरू, ये मस्तियाँ अच्छी नहीं
(6)
इंग्लैन्ड में क्या रह लिए, दो-चार बरसों के लिए
अब कह रहे हैं बेशरम, यह बस्तियाँ अच्छी नहीं
(7)
सच को समर्थन दीजिएगा, कष्ट जो सहना पड़े
हर बात पर डर से भरी, कमजोरियाँ अच्छी नहीं
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451