Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jun 2023 · 1 min read

खाओ जलेबी

** खाओ जलेबी **
~~~~~~~~~~~~
शौक से खाओ जलेबी
जब करे मन खूब जी भर

ग्रीष्म ऋतु या सर्दियाँ हो
बारिशें हो छम छमाछम
सामने आए जलेबी
रुक वहीं जाते सहज हम
खूब खाते मुस्कुराते
हर्ष पूरित भाव लेकर
शौक से……..

खूब बढ़ते जा रहे पग
स्वाद की है चाह अनुपम
चाशनी मृदु भावना की
घुल रही ज्यों स्नेह सरगम
एक अनुभूति अनूठी
उड़ रहे ज्यों आसमां पर
शौक से……..

पर्व उत्सव हो कहीं भी
ठाठ से रहती जलेबी
भाव समरसता जगाती
हो अमीरी या गरीबी
हैं बहुत मिष्ठान्न जग में
किंतु यह सर्वत्र प्रियकर
शौक से……..
~~~~~~~~~~~~
सुरेन्द्रपाल वैद्य।
मण्डी, हिमाचल प्रदेश

2 Likes · 248 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from surenderpal vaidya
View all

You may also like these posts

गीता जयंती
गीता जयंती
Satish Srijan
चाँद
चाँद
Shweta Soni
*** कुछ पल अपनों के साथ....! ***
*** कुछ पल अपनों के साथ....! ***
VEDANTA PATEL
रंगों की दुनिया
रंगों की दुनिया
Dr. Kishan tandon kranti
ग़लतफ़हमी में क्यों पड़ जाते हो...
ग़लतफ़हमी में क्यों पड़ जाते हो...
Ajit Kumar "Karn"
बस तुम लौट आओ...
बस तुम लौट आओ...
Harshit Nailwal
बिना पढ़े ही वाह लिख, होते हैं कुछ शाद
बिना पढ़े ही वाह लिख, होते हैं कुछ शाद
RAMESH SHARMA
क्षणिका  ...
क्षणिका ...
sushil sarna
ਰਿਸ਼ਤੇ ਉਗਾਉਂਦੇ ਨੇ ਲੋਕ
ਰਿਸ਼ਤੇ ਉਗਾਉਂਦੇ ਨੇ ਲੋਕ
Surinder blackpen
सुबह भी तुम, शाम भी तुम
सुबह भी तुम, शाम भी तुम
Writer_ermkumar
मैं तेरे गले का हार बनना चाहता हूं
मैं तेरे गले का हार बनना चाहता हूं
Keshav kishor Kumar
।।अथ सत्यनारायण व्रत कथा पंचम अध्याय।।
।।अथ सत्यनारायण व्रत कथा पंचम अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
44...Ramal musamman maKHbuun mahzuuf maqtuu.a
44...Ramal musamman maKHbuun mahzuuf maqtuu.a
sushil yadav
रुपया
रुपया
OM PRAKASH MEENA
*माला फूलों की मधुर, फूलों का श्रंगार (कुंडलिया)*
*माला फूलों की मधुर, फूलों का श्रंगार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
किसी को मारकर ठोकर ,उठे भी तो नहीं उठना।
किसी को मारकर ठोकर ,उठे भी तो नहीं उठना।
मधुसूदन गौतम
सहसा यूं अचानक आंधियां उठती तो हैं अविरत,
सहसा यूं अचानक आंधियां उठती तो हैं अविरत,
Abhishek Soni
बेटियाँ
बेटियाँ
संतोष सोनी 'तोषी'
नन्हा घुघुट (एक पहाड़ी पंछी)
नन्हा घुघुट (एक पहाड़ी पंछी)
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
भोले नाथ है हमारे,
भोले नाथ है हमारे,
manjula chauhan
मुक्तक
मुक्तक
Vandana Namdev
नयन
नयन
Kaviraag
sp101 कभी-कभी तो
sp101 कभी-कभी तो
Manoj Shrivastava
हम पे एहसान ज़िंदगी न जता,
हम पे एहसान ज़िंदगी न जता,
Dr fauzia Naseem shad
मूर्ती माँ तू ममता की
मूर्ती माँ तू ममता की
Basant Bhagawan Roy
बरगद एक लगाइए
बरगद एक लगाइए
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
मुझे इस बात पर कोई शर्म नहीं कि मेरे पास कोई सम्मान नहीं।
मुझे इस बात पर कोई शर्म नहीं कि मेरे पास कोई सम्मान नहीं।
*प्रणय*
झुमका
झुमका
अंकित आजाद गुप्ता
तारिणी वर्णिक छंद का विधान
तारिणी वर्णिक छंद का विधान
Subhash Singhai
प्रेमियों के भरोसे ज़िन्दगी नही चला करती मित्र...
प्रेमियों के भरोसे ज़िन्दगी नही चला करती मित्र...
पूर्वार्थ
Loading...