Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Nov 2023 · 1 min read

घायल मन

ख़ूँ से लथपथ फेंकी थी वो दूर कहीं नाले में तब
अगले दिन अख़बारों में ये घटना घटकर आती है
भारत माँ के घर में बेटी पैदा होना पाप यँहा
जब जब बेटी चीर हुई तब धारा बदली जाती है

कुल की मर्यादा के ख़ातिर सीता ने अपमान सहा
तब आँखों के दल दर्पण से अंगार निकलने लगती है
गूंगे बहरे हो जाते हैं सत्ता के मतवाले लोग
घायल मन के जंगल से फुफकार निकलने लगती है

लोग यहाँ जम-जम कर बोले नारी का सम्मान करो
अगले दिन कमरे में बेटी सूली पर चढ़ जाती है
बंद करो ये ड्रामेबाजी नौटंकी के नटवरलाल
चीर को खींचा जाता तब ये बात हवा बन आती है

सब्ज़ हवा के झोंके देता, स्वागत करता कलियों का
नाज़ से पालें अक्सर माली फुलवारी के फूलों को
बोली लगवाने फिर जाता उपवन के हरियाली की
बख़्श नहीं देता है निर्मम फूलों के उन शूलों को

इक दिन माली लोभ के मारे बेच दिया फुलवारी को
ये बर्बरता देख के रोता डाली पर पंछी नादाँ
पेड़ परिंदों से थी यारी वे भी रस्ता भूल गये
सब्ज़ हवा ने रिश्ता तोड़ा उपवन लागे अब ज़िंदाँ

तू भी चुप है मैं भी चुप हूँ हम सब सारे चुप बैठे
ऐसी चुप्पी से तो बेहतर आग लगा दो चुप्पी को
पापी ने जो पाप किया है भोले तेरी नगरी में
मौन प्रजा के घर-घर जाकर आज सज़ा दो चुप्पी को

Language: Hindi
1 Like · 207 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

जो चाहते थे पा के भी तुम्हारा दिल खुशी नहीं।
जो चाहते थे पा के भी तुम्हारा दिल खुशी नहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
3549.💐 *पूर्णिका* 💐
3549.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जिन्हें
जिन्हें "हिंसा" बचपन से "घुट्टी" में मिला कर पिलाई जाएगी, वे
*प्रणय*
ऑनलाइन शॉपिंग
ऑनलाइन शॉपिंग
Shekhar Chandra Mitra
मंझधार
मंझधार
Roopali Sharma
बह्र ## 2122 2122 2122 212 फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन काफिया ## आ रदीफ़ ## कुछ और है
बह्र ## 2122 2122 2122 212 फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन काफिया ## आ रदीफ़ ## कुछ और है
Neelam Sharma
हृदय पुकारे आ रे आ रे , रो रो बुलाती मेघ मल्हारें
हृदय पुकारे आ रे आ रे , रो रो बुलाती मेघ मल्हारें
Dr.Pratibha Prakash
याद रखना...
याद रखना...
पूर्वार्थ
नौकरी
नौकरी
Rajendra Kushwaha
बहुत मुश्किल होता हैं, प्रिमिकासे हम एक दोस्त बनकर राहते हैं
बहुत मुश्किल होता हैं, प्रिमिकासे हम एक दोस्त बनकर राहते हैं
Sampada
फिल्मी गानों से छंद
फिल्मी गानों से छंद
आचार्य ओम नीरव
गजब के रिश्ते हैं
गजब के रिश्ते हैं
Nitu Sah
* खिल उठती चंपा *
* खिल उठती चंपा *
surenderpal vaidya
** लोभी क्रोधी ढोंगी मानव खोखा है**
** लोभी क्रोधी ढोंगी मानव खोखा है**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बरहम बाबा गीत बनाम बराहमन गीत।
बरहम बाबा गीत बनाम बराहमन गीत।
Acharya Rama Nand Mandal
ग़ज़ल : रोज़ी रोटी जैसी ये बकवास होगी बाद में
ग़ज़ल : रोज़ी रोटी जैसी ये बकवास होगी बाद में
Nakul Kumar
एक चतुर नार
एक चतुर नार
लक्ष्मी सिंह
आशियाँ बनाएगी ...
आशियाँ बनाएगी ...
Manisha Wandhare
" रोटियाँ "
Dr. Kishan tandon kranti
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
"Always and Forever."
Manisha Manjari
अजब तेरी दुनिया
अजब तेरी दुनिया
Mukund Patil
हमें फुरसत कहाँ इतनी
हमें फुरसत कहाँ इतनी
gurudeenverma198
मुद्दा
मुद्दा
Paras Mishra
दिनकर जी
दिनकर जी
Manoj Shrivastava
अपनी आंखों को मींच लेते हैं।
अपनी आंखों को मींच लेते हैं।
Dr fauzia Naseem shad
गीत ग़ज़लों की साक्षी वो अट्टालिका।
गीत ग़ज़लों की साक्षी वो अट्टालिका।
पंकज परिंदा
संस्कृति
संस्कृति
Rambali Mishra
नवरात्रि गीत
नवरात्रि गीत
ईश्वर दयाल गोस्वामी
जीवन  में फल रोज़-रोज़ थोड़े ही मिलता है,
जीवन में फल रोज़-रोज़ थोड़े ही मिलता है,
Ajit Kumar "Karn"
Loading...