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28 Apr 2020 · 2 min read

खतरा किससे

(लघु कथा )
” खतरा किससे”
————————————————————————

मनकू दवे पैरों से जैसे ही घर से बाहर निकला रास्ते में खड़े एक पुलिस वाले ने उसको डांटना शुरू कर दिया
बोला — तुम लोग बाज नहीं आओगे जब पता है कि लॉकडाउन में घर से बाहर नहीं निकलना है तब भी बार-बार बाहर निकलते हो लगता है ऐसे नहीं मानोगे

मनकू हाथ जोड़ते हुए घर के अंदर आ गया और बीबी से बोला- आजकल पुलिस वालों से बड़ा खतरा हो गया है गली-गली में बैठे हुए हैं

—–तो बाहर जाने की जरूरत क्या है? जब पता है कि कोरोना की बीमारी फैली हुई है ऐसे में खतरा मोल लेने में समझदारी नहीं
बीबी ने बात काटते हुए कहा

मनकू नाराज होते हुए बोला— अरे इतने दिनों से घर बैठे बैठे बोर हो रहा था सोचा जरा यार दोस्तों से मिल आऊं पर क्या पता था की पुलिस गेट के बाहर ही खड़ी है? चलो फिर से देखता हूं शायद वह पुलिस वाला चला गया हो

मनकू धीरे से गेट के बाहर झांकने लगा पुलिस वाले को न देख कर बड़ा खुश हुआ और छुपते-छुपाते अपने दोस्त सुखिया के घर पहुंच गया लेकिन सुखिया ने बाहर आने से मना कर दिया
बोला— माफ करना मनकू भाई मैं तो इस समय लॉकडाउन का कड़ाई से पालन कर रहा हूं तुम भी पालन करो और घर लौट जाओ इसी में देश की भलाई है

दोस्त की बात सुनकर मनकू बोला— ठीक है तुम डर कर बैठे रहो मैं हरिया के यहां जा रहा हूं
यह कहते हुए वह गुस्से में आगे बढ़ गया रास्ते में मोटरसाइकिल पर एक अजनबी दिखा जो उसी तरफ जा रहा था मनकू के कहने पर उसने लिफ्ट दे दी और दूसरे मोहल्ले तक छोड़ दिया

मनकू खुशी खुशी धन्यवाद देते हुए बोला— भाई तुम कौन हो और कहां जा रहे हो?
अजनबी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया मुझे नहीं पहचाना—- मैं कोरोना हूं तुम जैसे लोगों के लिए ही बाहर घूमता रहता हूं

———————————————————————–
डॉ. रीतेश कुमार खरे
प्रवक्ता -जंतु विज्ञान
राजकीय महाविद्यालय ललितपुर

Language: Hindi
Tag: लघु कथा
3 Likes · 1 Comment · 575 Views

Books from Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे

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