क्षोभ (कुंडलिया)

क्षोभ (कुंडलिया)
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आता तो है दो घड़ी ,मन में पापी लोभ
युगों-युगों परिणाम है ,इसका भारी क्षोभ
इसका भारी क्षोभ ,हृदय में जन पछताते
घोर नर्क की आग ,भीतरी हर क्षण पाते
कहते रवि कविराय ,दुखी मन हो-हो जाता
साँस-साँस में अश्रु ,निकल बाहर को आता
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क्षोभ = व्याकुलता ,पछतावा
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451