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29 Jan 2017 · 1 min read

“क्षणिका”

दोस्ती कभी नहीं मिटती;दबी रहती है,मन के भीतर मौक़ा मिलते ही छलक जाती है:-
——————–
“क्षणिका”
————————
दोस्त का संदेश आया
कुछ ठहाके
गूँज गये
ज़हन में,
कुछ गालियाँ
उछलीं,
छीन कर सिगरेट ,
उड़ाये छल्ले
हुआ
सब धुँआ धुँआ
दिल भर आया,
रोया मैं,
खूब रोया,
मन हल्का हुआ;
याद नहीं ।
———————–
राजेश”ललित”शर्मा
२९-१-२०१७
१:०१
————————-

Language: Hindi
4 Likes · 1 Comment · 320 Views
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