क्यो लेट जाते हो बिछौने में दुखी मन से,
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क्यो लेट जाते हो बिछौने में दुखी मन से,
बना लेते हो कफ़न इसी को,
कफ़न मे एक दिन लिपटना तो है,
मन से हटा दो इसी दुःख को ,
बिछौने को जीवन की पहचान बना लो।
क्यो लेट जाते हो बिछौने में दुखी मन से,
बना लेते हो कफ़न इसी को,
कफ़न मे एक दिन लिपटना तो है,
मन से हटा दो इसी दुःख को ,
बिछौने को जीवन की पहचान बना लो।