Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Sep 2016 · 1 min read

क्या लिखूँ

आज कुछ लिखूँ तुम पर
पर क्या लिखूँ
कविता ,छन्द या दोहा
कविता से सरस तुम
मुक्तक से स्वच्छन्द तुम
पर मैं क्या लिखूँ

तुम मेरे प्रिय हो
मुझे बडे अजीज हो
महाकाव्य या खण्डकाव्य
मन चाहा लिखूँ
अभी तो तुमने
दी दस्तक मेरी जिन्दगी में
बाकी है बरतना

अभी तो जुटा रही हूँ
काव्य साम्रगी
कुछ नजदीकिया पूरी
बाकी है कुछ
खण्ड खण्ड जोड जोड
खण्डकाव्य लिखूँ

तुम भी हो अनावृत
सबकुछ साफ साफ
रहस्य को खोल
ना करना आँख मिचौली
क्योंकि मैं तुमको
अब समझने लगी हूँ
पढने लगी हूँ

बीते दिन की करतूत
ना दोहरा देना
जैसा कहूँ मेरा
कहना मान लेना
क्योंकि अब तुम
मेरे पन्नों में हो
मेरी लेखनी में

जैसे सूरज उदित
होता बैसे आना
तुम्हारा होता
फिर विलुप्त हो जाते
अगले आगमन को
कितना कष्टदायी है
आना जाना तुम्हारा
फिर मेरा कैसे हो पूरा
मेरा यह खण्डकाव्य

शुक्रिया तुम्हे
मेरे खण्डकाव्य का
विषय हो तुम
दूर सफर है
मन चंचल ना करना
हाथ मेरा जो थामा
सदा सदा सदा

Language: Hindi
71 Likes · 598 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all

You may also like these posts

फिर कभी तुमको बुलाऊं
फिर कभी तुमको बुलाऊं
Shivkumar Bilagrami
स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम
स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जिद और जुनून
जिद और जुनून
Dr. Kishan tandon kranti
ये क्या नज़ारा मैंने दिनभर देखा?
ये क्या नज़ारा मैंने दिनभर देखा?
Jyoti Roshni
2532.पूर्णिका
2532.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
"व्यर्थ सलाह "
Yogendra Chaturwedi
आज हम जा रहे थे, और वह आ रही थी।
आज हम जा रहे थे, और वह आ रही थी।
SPK Sachin Lodhi
रात
रात
SHAMA PARVEEN
शख़्स!
शख़्स!
Pradeep Shoree
*माना अग्र-समाज ने, अग्रसेन भगवान (कुंडलिया)*
*माना अग्र-समाज ने, अग्रसेन भगवान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मां
मां
Charu Mitra
एक ज़िद थी
एक ज़िद थी
हिमांशु Kulshrestha
ST666 - Nhà Cái Hàng Đầu, Nạp Rút Nhanh Chóng, Giao Dịch Bảo
ST666 - Nhà Cái Hàng Đầu, Nạp Rút Nhanh Chóng, Giao Dịch Bảo
ST666
"क्यूं किसी को कोई सपोर्ट करेगा"
Ajit Kumar "Karn"
खुशामद किसी की अब होती नहीं हमसे
खुशामद किसी की अब होती नहीं हमसे
gurudeenverma198
विध्वंस का शैतान
विध्वंस का शैतान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मन्नत के धागे
मन्नत के धागे
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
मौत से बढकर अगर कुछ है तो वह जिलद भरी जिंदगी है ll
मौत से बढकर अगर कुछ है तो वह जिलद भरी जिंदगी है ll
Ranjeet kumar patre
..
..
*प्रणय*
स्पर्श
स्पर्श
Ajay Mishra
नानी का घर
नानी का घर
उमेश बैरवा
एक मुलाकात
एक मुलाकात
PRATIK JANGID
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
भजन: रामचंद्र कह गए सिया से
भजन: रामचंद्र कह गए सिया से
Indu Singh
बड़ी बहु को नौकर छोटी की प्रीत से
बड़ी बहु को नौकर छोटी की प्रीत से
नूरफातिमा खातून नूरी
जिंदगी में मजाक करिए लेकिन जिंदगी के साथ मजाक मत कीजिए।
जिंदगी में मजाक करिए लेकिन जिंदगी के साथ मजाक मत कीजिए।
Rj Anand Prajapati
वो जिस्म बेचती है, वैश्या कहलाती है
वो जिस्म बेचती है, वैश्या कहलाती है
Rekha khichi
मिजाज़
मिजाज़
पं अंजू पांडेय अश्रु
कैसी हसरतें हैं तुम्हारी जरा देखो तो सही
कैसी हसरतें हैं तुम्हारी जरा देखो तो सही
VINOD CHAUHAN
बड़े सलीके, सुकून और जज़्बात से
बड़े सलीके, सुकून और जज़्बात से
इशरत हिदायत ख़ान
Loading...