Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2023 · 2 min read

क्या रखा है? वार में,

मानव मानव का दुश्मन हुआ,
मैं तुमको आज बताता हूंँ।
रक्त पिचास क्यों बने हुए तुम,
मैं तुमको समझाता हूंँ।
युद्ध नहीं बुद्ध की नीति,
अभी आज अपना लो तुम।
जैसा करोगे वैसा मिलेगा,
याद रखो संसार में।
क्या रखा है वार में।।१।।
यह बार-बार क्यों होते वार?
जरूरत है, तुम करो सुधार ।
कुछ हम सुधरें कुछ तुम सुधरो,
शान्ति से खोजो हल क्या है?
आज का ध्यान भी तुम रखना,
सोचो तुम्हारा कल क्या है?
तहस-नहस निराशा चीखें,
मिलेंगे इस संसार में।
क्या रखा है वार में।।२।।
भूल गए हिरोशिमा क्यों?,
नागासाकी याद नहीं।
अमेरिका की चालाकी का,
तुमको क्यों आभास नहीं।
दूर खड़ा रहता है, खुद तो,
आपस में चलवाता है।
तुमको तो हानि ही मिलती,
खुद तो लाभ उठाता है।
दादागिरी न चलेगी लम्बी,
सुधार कर व्यवहार में।
क्या रखा है वार में।।३।।
किसी की बीवी- बच्चे बिछड़े,
किसी का सत्यानाश हुआ।
चीख-पुकार से आंँगन गूंँजे,
मार्ग लथपथ लाल हुआ।
बेचैनी निराशा हताशा चीखें,
किसी का पारावार नहीं।
शान्ति से सुलझा लो मसला,
क्या रखा हथियार में।
क्या रखा है वार में।।४।।
झकझोर दिया, कुछ तोड़ दिया,
कुछ अपनों ने ही छोड़ दिया।
तबाही लहूलुहान लाशें हाहाकार,
निर्दोष क्यों हो रहे शिकार ?
गलती क्या है? इनकी यार।
तहस-नहस प्रलय का दृश्य,
आंँखों में आंँसू लाता है।
देखो कैसा लहू बह रहा नर के कारोबार में,
क्या रखा है वार में।।५।।
हथियारों की होड़ ने,
रुला दिया इस मोड़ ने।
थर्ड वार की बारी क्यों?
ऐसी भी लाचारी क्यों?
लपटों से क्या डर नहीं लगता?
मन तुम्हारा क्रन्दन नहीं करता।
शान्ति का फैलाओ संदेश,
सब कुछ मिलेगा प्यार में।
क्या रखा है वार में।।६।।
दोस्त बदल जाते हैं, अक्सर,
पड़ोसी फिर भी बेहतर है।
नाटो,ईयू से अच्छा,
रूस ही उसका घर है।
अन्धकार में परछाई भी,
साथ हमारा नहीं देती।
कैसे करूंँ नाटो पर विश्वास,
दिख रहा थर्ड वार में।
क्या रखा है वार में।।७।।
मिलजुलकर सब रहे देश,
बदलो अपना छदम वेश।
शान्ति चमन अमन प्यार,
जीवन मे अपना लो यार।
होड़ तोड़ विध्वंश विनाश,
पूर्व में डालो प्रकाश।
युद्ध से कभी भला हुआ नही,
देख लिया संसार में।
क्या रखा है वार में।।८।।
दुष्यन्त कुमार की है,यह आशा,
बदलो युद्ध की तुम परिभाषा।
युद्ध नही हमे बुद्ध चाहिए।
दलाल चाटुकार नही चाहिए।
चेहरों पर मुस्कान चाहिए।
झूठा न प्रचार चाहिए।
मानवता का सार चाहिए।
कहता संक्षिप्त सार मैं।
क्या रखा है वार में।।९।।

Language: Hindi
5 Likes · 392 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dushyant Kumar
View all

You may also like these posts

पसंद मेरे जीवन में
पसंद मेरे जीवन में
Dr fauzia Naseem shad
इश्क करना
इश्क करना
Ranjeet kumar patre
रे ! मेरे मन-मीत !!
रे ! मेरे मन-मीत !!
Ramswaroop Dinkar
कृष्ण जी के जन्म का वर्णन
कृष्ण जी के जन्म का वर्णन
Ram Krishan Rastogi
तुम न जाने कितने सवाल करते हो।
तुम न जाने कितने सवाल करते हो।
Swami Ganganiya
सलाम
सलाम
अरशद रसूल बदायूंनी
*इंसान बन जाओ*
*इंसान बन जाओ*
Shashank Mishra
धरती के आगे
धरती के आगे
Chitra Bisht
चाय और राय,
चाय और राय,
शेखर सिंह
दावेदार
दावेदार
Suraj Mehra
मौन जीव के ज्ञान को, देता  अर्थ विशाल ।
मौन जीव के ज्ञान को, देता अर्थ विशाल ।
sushil sarna
"कवियों की हालत"
Dr. Kishan tandon kranti
राधे राधे बोल
राधे राधे बोल
Shailendra Aseem
आखिरी मुलाकात ( रिटायरमेंट )
आखिरी मुलाकात ( रिटायरमेंट )
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
स्त्रियां, स्त्रियों को डस लेती हैं
स्त्रियां, स्त्रियों को डस लेती हैं
पूर्वार्थ
मात्र नाम नहीं तुम
मात्र नाम नहीं तुम
Mamta Rani
How can I forget
How can I forget
VINOD CHAUHAN
" दोहरा चरित्र "
DrLakshman Jha Parimal
चरित्र अगर कपड़ों से तय होता,
चरित्र अगर कपड़ों से तय होता,
Sandeep Kumar
भरे मन भाव अति पावन, करूँ मैं वंदना शिव की।
भरे मन भाव अति पावन, करूँ मैं वंदना शिव की।
डॉ.सीमा अग्रवाल
पेजर ब्लास्ट - हम सब मौत के साये में
पेजर ब्लास्ट - हम सब मौत के साये में
Shivkumar Bilagrami
*
*"राम नाम रूपी नवरत्न माला स्तुति"
Shashi kala vyas
सारे शब्द
सारे शब्द
Shweta Soni
आज का दौर
आज का दौर
Shyam Sundar Subramanian
3234.*पूर्णिका*
3234.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
#शिकायत#
#शिकायत#
Madhavi Srivastava
जस गीत
जस गीत
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
तमाम उम्र अंधेरों में कटी थी,
तमाम उम्र अंधेरों में कटी थी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जाहिलों को शिक्षा, काहिलों को भिक्षा।
जाहिलों को शिक्षा, काहिलों को भिक्षा।
Sanjay ' शून्य'
#आदरांजलि
#आदरांजलि
*प्रणय*
Loading...