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9 Jun 2023 · 1 min read

क्या बचा है अब बदहवास जिंदगी के लिए

क्या बचा है अब बदहवास जिंदगी के लिए
आदमी! आदमी न हो पाया आदमी के लिए
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

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