क्या प्यार है तुमको हमसे
क्या प्यार है तुमको हमसे, सच्चे दिल से कहो यह तुम।
हमसे नहीं जब तुमको प्यार, क्यों प्यार करें तुमसे हम।।
क्या प्यार है तुमको हमसे————-।।
पूछो तुम अपने दिल से, कब ख़ुशी हमको दी तुमने।
जो फूल दिल का खिला था, मायूस कर दिया तुमने।।
जब हमें कुछ समझते नहीं, क्यों अपना तुम्हें माने हम।
क्या प्यार है तुमको हमसे—————।।
क्या कभी मुझे याद किया, लिखा कभी क्या खत मुझे।
पूछा कभी क्या हाल मेरा, जो ख्याल हो तुम्हारा मुझे।।
दी है कभी क्या मुझे इज्जत,इज्जत जो दे तुमको हम।
क्या प्यार है तुमको हमसे—————।।
नहीं इज्जत हमारी नजर में, तेरे रूप और दौलत की।
जीना है मुझे बेदाग होकर, चाहत नहीं तेरी दौलत की।।
क्या कभी साथ दिया मेरा, जो साथ तुम्हारा दे भी हम।
क्या प्यार है तुमको हमसे——————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)