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28 Aug 2016 · 1 min read

क्या तमाशा है दिल लगाना भी………

पास आकर के दूर जाना भी
क्या तमाशा है दिल लगाना भी।

आँख से आँख भी मिलाते हो
और फिर आँख का चुराना भी।

आज तो हद से गुजर जाएंगे
अब चलेगा नहीं बहाना भी ।

क्या हुआ तुम अगर कभी रूठे
आ गया अब हमें मनाना भी ।

जान तो दे चुके बहुत पहले
चाहते हो हमें जलाना भी।

इश्क की ये नयी रवायत है
साथ देना भी है निभाना भी।

आपका दिल बहुत बड़ा है तो
“आरसी” को मिले ठिकाना भी।

–आर.सी.शर्मा “आरसी”

1 Comment · 601 Views
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