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16 May 2023 · 1 min read

कोरे कागज पर…

कोरे कागज़ पर आज रिदय के….

कोरे कागज़ पर आज रिदय के,
दिल की अपने हर बात लिख दूँ।

देख तुम्हें सद्य जो जन्मे मन में,
वे अरमां अबोध नवजात लिख दूँ।

हुआ जिस घड़ी परिचय तुमसे,
तारों जड़ी हसीं वो रात लिख दूँ।

लिख दूँ तुम्हें विभा शशधर की,
मैं चकोरी साँवल गात लिख दूँ।

प्यासी युगों की लिखूँ स्वयं को,
तुमको रिमझिम बरसात लिख दूँ।

रह-रह जो उमड़कर आते मन में,
कोमल वो सभी जज्बात लिख दूँ।

चाँद पूनम का लिखूँ तुम्हें तो,
खुद को रुपहली रात लिख दूँ।

लिख दूँ तुम्हें चितचोर कन्हैया,
खुद को ग्वालन अज्ञात लिख दूँ।

पूर्ण चंद्र तुम दीप्त गगन में,
मैं किरण लघु अवदात लिख दूँ।

लिखूँ तुम्हें दिनकर की लाली,
खुद को खिला जलजात लिख दूँ।

कितने जन्मों के तप से पायी,
तुम्हें अनूठी इक सौगात लिख दूँ।

लघु लेखनी से आज मैं अपनी,
तुम्हें अखिल भुवन में व्याप्त लिख दूँ।

© डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 72 Views
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