कोन बिरड़ो मे उधिया गेल?कतअ हरा गेल मिथिला के नटुआ नाच?
कोन बिरड़ो मे उधिया गेल?कतअ हरा गेल मिथिला के नटुआ नाच?
हौ कतए के नटुआ एलैइए? फलां ठाम के. इ कहू जे थेहगरीये टा की लटकियो नटुआ सब अएल छै? एह जेबै देखै ले तब ने? थेहगरही, लटकी, छमकी सबटा नटुआ एलैइए, ततेक नीक नचै जाइ हइ से छौंड़ा मारेर सब मारते रूपैया लूटबै जाइ छै आ नटुआ सब नाचै के त थैह थैह केने रहै छै. हं तब त हमहूँ जेबै नाच देखै लै एमकी मने नीक नटुआ सब एलैइए?
मिथिला के लोक संस्कृति मे रचल बसल रहै नटुआ नाच जे लोक मनोरंजक रूपे बेस प्रचलित रहै. मूरन, उपनेन, बिआह दान, नाटक, नाच, छकरबाजी, अल्ला रूदल, दिवाली, छैठ जे कोनो उत्सव होउ ओइ मे नटुआ नाच अब्बसे होइ. आ लोक नटुआ के साज सिंगार, लटक झटक, अदाकारी देख के ओकर नाचब देखै, नटुआ संगे नाइच के आनंदित होइत रहै आ लोक मनोरंजन के नीक साधन रहै.
हमरा मोन परैए जे हमर गाम मंगरौना के दुर्गा पूजा मे भटचौरा के नाटक पार्टी, विरदाबोन के नाच पार्टी सब अबै. दुनू के नटुआ सब तेहेन लटक झटक वला, रोल खेलै वला नटुआ सब रहै जे अपन अदाकारी स देखनिहार के मोन मोहि लै. आ लोक खुशी स झूमि के नटुआ के इनाम दैत रहै. अनदिना त मूरन, बिआह, सब मे बाबूबरही के फूल हसन बैंड पार्टी अबै . उ बैंड वला बेस नामी आ तेकर नटुआ उसमान हुसेन खूब नीक नटुआ रहै ओकर नाचब देखै ले त लोक सौंसे गामक लोक सब अबै.
नटुआ नाच के प्रचलित प्रकार..
1. रोल खेलिनहार नटुआ-
एकरे सब के बोल चाल मे लोक सब थेहगरी नटुआ कहै जाइ छै. इ सब अनुभवी आ उमेरगर कलाकार सब होइ जे अपना नाचब अभिनय आ बेहतर संवाद स लोक के बेस प्रभावित करै जाइ. नाटक देखनिहार लोक सब एकरा मे अपना समाजिक संबध माए, बहिन, भौजाइ, आदि के छवि देखै जाइत रहै.
पाठ (रोल) खेलाएब शुरू करै स पहिने इ नटुआ सब मेकअप, सैज धैज के स्टेज पर अबै आ कहै जाइ हे बाबू भैया सब, हे माता बहिन, अहाँ सब अशीरवाद करै जेबै. लोक इ संवाद सुनि के जोड़दार थौपड़ि तालि बजबै जाइ आ मोने मोन नटुआ के अशीरवाद दै लोक सब जे आइ नीक रोल खेलेतै. नीक नाटक, नाच देखब सुनै जाएब.
रोल खेलाइत खेलाइत उ थेहगरही नटुआ सब दर्शक बीच मे अशीरवादी मंगै ले अबै आ लोक सब के दस, बीस, पचास जे जुड़ै से नटुआ के चाबस्सी रूपे दै.
2. लटकी नटुआ-
नामक अनरूपे इ सब तेहेन सजल धजल रहै आ नचैत काल तेहेन लटक झटक करै जे छौंड़ा मारेर सब त एकरा पर फिदा भऽ जाइत रहै. एतेक फिदा जे नटुआ के कोरा मे उठा लेब, ओकर गाल छूअब, नटुआ के चोली मे आलपिन लगा रूपैया खोंसि देब आ लटकी नटुआ संगे छौंड़ा मारेर के खूब नाचब बेस रमनगर लगै.
बूढ़ पुरान सब सेहो तरे आंखि नटुआ सब पर मोहित होइत रहै आ छौंड़ा मारेर सब पर झूठो खिसियाइ जाइ जे हे तूं सब नटुआ के बेसी नंगो चंगो नै करै जाहि की ताबे छौंड़ा सब नटुआ के बुढ़ पुरान दिस हुलका दै आ खूब पिहकारी होइ. बुढ़ो पुरान सब नटुआ के नीसा मे डूबल देह हाथ डोला के थोड़ बहुत नाचै आ नटुआ के बक्शीस दै. अइ लटकी नटुआ सबहक साज सिंगार, इनाम भेटला पर शुक्रिया अदा करब के आगू त फिल्मी कलाकार सब फिका बूझना जइतै.
जिन बलमा ने दिया रूपैया मैं रखूंगी चोली मे सम्हाइर के, अठ्ठनी हमरा गाल पर आ रूपैया हमरा माल पर.आ तेहेन ने लटक झटक स लोक के मोन मोहि लै जे नवयुबक सब फिदा भऽ जैत रहै. छौंड़ा मारेर सब त अइ लटकी नटुआ सब मे अप्पन प्रेमिका, बहुरिया, भौजाइ आदि के छवि देखै आ बेस लोक मनोरंजन मे डूबल रहै. इ नटुआ सब नाटक, नाच, बैंड पार्टी मे रहैत रहै जे सब गेबो करै आ खूब नचबो करै जाइ.
3. छमकी नटुआ-
इ छमकी सब त रेकार्डिंग डांस कला फिल्मी गीत पर तेना छमा छम नचै जे लोक सब सुइध बुइध बिसरा जाइ. एना एकटिंग करै जे लोक के होइ फिलिम देखै छि. कोठे उपर कोठरी उस पर रेल चला दूंगी, बस एक को कुंवारा रखना, मैने जो घूंघरू बांध लिए सब पर तेहेन रिकार्डिंग डांस होइ से छौंड़ा सब सेहो नचै लगै, खूब पिहकारी सिटी बजै आ लोक रूपैया इनाम दै.शेरो शायरी. रेकोडिंग डांस के जमाना एला पर छमकी नटुआ सब बेस लोकप्रिय भेल रहै. इ सब सब तरहक गीत पर मनमोहक डांस करै जाइ छलै.
4. नटुआ-
इ नटुआ सब बैंड पार्टी, छकरबाजी, नाच पार्टी, ढोल पिपही पार्टी, अल्ला रूदल सबमे रहैत रहै जे पारंपरिक वेश भूसा, पारंपरिक नाच लेल बेस प्रचलित रहै. सजल धजल मेकअप केने चोली पर रूपैया टंगने समाजिक लोक मर्यादा के मान रखने इ नटुआ सब नचै आ लोक के मनोरंजन करै जाइ.
हमरा मोन परैए स्कूलि जीवन मे गाम घर दिस प्रसिद्ध नटुआ सब जेना रामउदगार, रामदुलार पासवान (दुनू सहोदर रहै), सीरिदेब पंडित, उसमान हुसैन, बनैया राम, बबलू मंडल आदि लोक कलाकार सब जेकर नटुआ नाच देखै लेल लोक दूर दूर स अबै. कतेक कलाार सब त अाब अइ दुनिया मे नै रहलै तइयो जे कलाकार सब बांचल छै हुनका प्रति आदर दिर्घायु हेबाक कामना करैत छि.
गाम घर मे नटुआ त सब के मन मोहि लै जेना? नटुआ सबके मेकअप करैत काल धिया पूता के हुलुक बुलुक करब, छौंड़ा मारेर सब के नटुआ मेकअप रूम के पहरेदारी करब, बुढ पुरान सब तकतान करै मे जे नटुआ सबके बेसी नंगों चंगो नै करै जाही, फेर पिहकारी हंसि ठहक्का जे लोकरंग रहै से नटुआ नाच के आरो जीवंत बना दै.
मिथिला समाज लोक कलाकार प्रति सब दिन उदास रहल. बात बात मे दुत्कारि देब जे पढबें लिखमै की नचनीया बजनिया बनमैं? त एना मे के अइ कला सबके जियाअ के राखत? भोजपूर वला सब नटुआ नाच (लौंडा डांस) के जियाअ के रखलक त देखियौ जे रामचंद्र मांझी के पद्मश्री अवार्ड भेटलै. आ अपना मिथिला वला सब नटुआ के हेय दृष्टिये देखलक ओहेन प्रोत्साहन नै देलक त आब नटुआ नाच कलाकार नैंहे भेटत? बड्ड भेल त नेपाल,बंगाल,यू पी स बाई जी मंगा के लोक नचा लैइए सैह टा?
नटुआ नाच के पारंपरिक रूप आ उत्सव बला सुआद डीजे, बाई जी मे किन्नौ ने भेटत? असली आनंद त नटुआ नाच मे देखाएत यदि तकियौ त? मिथिला समाजक लोक चिंता कए के देखियौ जे नटुआ नाच के जिआ के राखै परत. नटुआ कलाकार के प्रोत्साहन देबाक अभाव मे,
बड्ड दुखक आ चिंता के गप जे एहेन लोकरंग वला नटुआ नाच आब कतौ हेरा गेल जेना? डी जे, अरकेसरा बाइ जी के बिरड़ो मे कतौ उधिया गेल नटुआ नाच?
लेखक- डाॅ. किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)