कोई उम्मीद किसी से,तुम नहीं करो

कोई उम्मीद किसी से,तुम नहीं करो।
भरोसा ऐसे किसी पर, तुम नहीं करो।।
कोई उम्मीद किसी से——————-।।
उम्मीद उसको भी, किसी से यहाँ है यारों।
उसका इंतजार मगर अब, तुम नहीं करो।।
कोई उम्मीद किसी से———————।।
ख्वाब जिंदगी में,बुनता है हर कोई उम्दा।
देखकर ऐसे में उसको,आह तुम नहीं करो।।
कोई उम्मीद किसी से——————–।।
देखो उसने भी सजाया है, गुलशन अपना।
ऐसे अब उसको लहूदान, तुम नहीं करो।।
कोई उम्मीद किसी से———————।।
शौक और दौलत ने , बदल गये हैं रिश्तें।
गलती वफ़ा की किसी से, तुम नहीं करो।।
कोई उम्मीद किसी से——————–।।
तुम्हारी तरहां वह भी है,जी आजाद अब।
जिंदगी उस पर अब बर्बाद, तुम नहीं करो।।
कोई उम्मीद किसी से——————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)