Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Mar 2023 · 1 min read

कोई उपहास उड़ाए …उड़ाने दो

कोई उपहास उड़ाए …उड़ाने दो
कोई आलोचना करे …करने दो

आप के भीतर कुछ तो खास है तभी वो
उपहास और आलोचना लिए पास है…..

🌱अधूरा ज्ञान🌱

497 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेहनत
मेहनत
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*भीड बहुत है लोग नहीं दिखते* ( 11 of 25 )
*भीड बहुत है लोग नहीं दिखते* ( 11 of 25 )
Kshma Urmila
सूर्य तम दलकर रहेगा...
सूर्य तम दलकर रहेगा...
डॉ.सीमा अग्रवाल
कर (टैक्स) की अभिलाषा
कर (टैक्स) की अभिलाषा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
🌸मन की भाषा 🌸
🌸मन की भाषा 🌸
Mahima shukla
आखिर क्यों तू
आखिर क्यों तू
gurudeenverma198
जीवन  के  हर  चरण  में,
जीवन के हर चरण में,
Sueta Dutt Chaudhary Fiji
ईश्वर ने हमें सुख दिया है, दुःख हम स्वयं निर्माण कर रहे हैं।
ईश्वर ने हमें सुख दिया है, दुःख हम स्वयं निर्माण कर रहे हैं।
Ravikesh Jha
कोई चाहे कितने भी,
कोई चाहे कितने भी,
नेताम आर सी
* सखी  जरा बात  सुन  लो *
* सखी जरा बात सुन लो *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
'बेटी बचाओ-बेटी पढाओ'
'बेटी बचाओ-बेटी पढाओ'
Bodhisatva kastooriya
कौन कहता है की ,
कौन कहता है की ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
"संकल्प-शक्ति"
Dr. Kishan tandon kranti
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हर रोज़ सोचता हूं यूं तुम्हें आवाज़ दूं,
हर रोज़ सोचता हूं यूं तुम्हें आवाज़ दूं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
😢अब😢
😢अब😢
*प्रणय प्रभात*
बन्दे   तेरी   बन्दगी  ,कौन   करेगा   यार ।
बन्दे तेरी बन्दगी ,कौन करेगा यार ।
sushil sarna
कौड़ी कौड़ी माया जोड़े, रटले राम का नाम।
कौड़ी कौड़ी माया जोड़े, रटले राम का नाम।
Anil chobisa
अगर मध्यस्थता हनुमान (परमार्थी) की हो तो बंदर (बाली)और दनुज
अगर मध्यस्थता हनुमान (परमार्थी) की हो तो बंदर (बाली)और दनुज
Sanjay ' शून्य'
काव्य का राज़
काव्य का राज़
Mangilal 713
इनको साधे सब सधें, न्यारे इनके  ठाट।
इनको साधे सब सधें, न्यारे इनके ठाट।
गुमनाम 'बाबा'
इंतजार युग बीत रहा
इंतजार युग बीत रहा
Sandeep Pande
The sky longed for the earth, so the clouds set themselves free.
The sky longed for the earth, so the clouds set themselves free.
Manisha Manjari
कहीं दूर चले आए हैं घर से
कहीं दूर चले आए हैं घर से
पूर्वार्थ
फिर कैसे विश्राम हो कोई ?
फिर कैसे विश्राम हो कोई ?
AJAY AMITABH SUMAN
मां तेरे आंचल से बढ़कर कोई मुझे न दांव रहता है।
मां तेरे आंचल से बढ़कर कोई मुझे न दांव रहता है।
Rj Anand Prajapati
परवरिश
परवरिश
Shashi Mahajan
2621.पूर्णिका
2621.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
*दिन-दूनी निशि चौगुनी, रिश्वत भरी बयार* *(कुंडलिया)*
*दिन-दूनी निशि चौगुनी, रिश्वत भरी बयार* *(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
हर वो दिन खुशी का दिन है
हर वो दिन खुशी का दिन है
shabina. Naaz
Loading...