Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 May 2022 · 2 min read

कैसे समझाऊँ तुझे…

कैसे समझाऊँ तुझे के,
मेरी खामोशी क्या कहती हैं तुमसे…

तुम हर बार जो लफ्जों के बाणों का
प्रहार कर के निकल जाते हो न
बहुत अंदर तक चूब जाते हैं सारे
इतने अंदर तक के
मुझको अक्सर नि:शब्द ही बना कर छोड़ जाते है…

शायद नहीं जानती हूँ के तुम
किस पल क्या सोच रहें होते हो,
शायद नहीं समझ सकती तुम्हारे स्वभाव को के
तुम किस पल क्या मुझसे चाहते हो,
हर बार कुछ सुकुन के पल तुमसे चाहे है बस
लेकिन
बातें हमारी अक्सर तकरारों में ही खत्म हो जाती हैं,
जानती हूँ के तुम मेरे किसी भी दर्द के मरहम नहीं बनना चाहोगे
फिर भी ना जाने क्यूँ
दिल को तुमसे लगाव हैं
लेकिन हर बार तुम अपने मर्द होने का अधिकार
मेरी मुस्कुराहट पर लाद देते हो…

चेहरे को मेरे पढ़कर
पूछा करते हो अक्सर परेशान क्यूँ रहती हूँ मैं
लेकिन कभी अपनी जिद्द से बाहर आकर तुम
मेरी परेशानियों को कहने से पहले समझ सकते
जानती हूँ तुमने अक्सर बस मजबूरी ही समझा हैं मुझे
तुम कभी अपने होने के हक्क से मिलने आ ही नही सकते हो न
बस कुछ पल के लिए वक्त गुजारने का
आकर्षिक वस्तु तो नहीं हूँ ना मैं
शिकायत करूँ तुमसे तो किस हक्क से करूँ
ना तो इश्क हूँ तुम्हारा .. ना ही महबूबा…

हर पल तो तुमने झूठ और फरेब ही है समझा मुझे
या फिर मेरे स्वभाव में पागलपन ही दिखता रहा तुमको
लेकिन किसी भी बातों या हरकतों में
तुमने अपने लिए मेरा अपनापन और हक्क देख नहीं पाये न
शायद देखा भी होगा तुमने
लगा होगा पैर की जंजीर बन जाऊँगी मैं
लेकिन इज्जत की पगड़ी भी बन जाती
ये कभी सोच भी ना सकें तुम
किस बात पर रूँठ जाऊँ तुमसे
जो तुम स्वार्थ हो .. और मैं चुतियापा…

इब उदासी तुम पर अच्छी नहीं लगती
हँसना और हँसना चाहा था साथ मिलकर
ना बीते कल में .. और ना ही आनेवाले कल में
अब में जीने की कोशिश करना चाहती रहीं
रहना तो चाहा था तुम्हारे पास
लेकिन
बस….एक बार सहीं कह सकोगे?
कितनी बार लौट आना होगा
तेरे हर बार ठुकराने के बाद…….
#ks

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 707 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उदास धड़कन
उदास धड़कन
singh kunwar sarvendra vikram
खुद को इतना हंसाया है ना कि
खुद को इतना हंसाया है ना कि
Rekha khichi
** शैलपुत्री **
** शैलपुत्री **
surenderpal vaidya
যুঁজ দিওঁ আহক
যুঁজ দিওঁ আহক
Otteri Selvakumar
'डोरिस लेसिगं' (घर से नोबेल तक)
'डोरिस लेसिगं' (घर से नोबेल तक)
Indu Singh
*दुष्टों का संहार करो प्रभु, हमसे लड़ा न जाता (गीत)*
*दुष्टों का संहार करो प्रभु, हमसे लड़ा न जाता (गीत)*
Ravi Prakash
1 *मेरे दिल की जुबां, मेरी कलम से*
1 *मेरे दिल की जुबां, मेरी कलम से*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
वैसे तो होगा नहीं ऐसा कभी
वैसे तो होगा नहीं ऐसा कभी
gurudeenverma198
*क्या देखते हो *
*क्या देखते हो *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
माना जिंदगी चलने का नाम है
माना जिंदगी चलने का नाम है
Dheerja Sharma
2580.पूर्णिका
2580.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
तेरा इश्क जब ख़ुशबू बनकर मेरी रूह में महकता है
तेरा इश्क जब ख़ुशबू बनकर मेरी रूह में महकता है
शेखर सिंह
"अपनी माँ की कोख"
Dr. Kishan tandon kranti
दिल ये इज़हार कहां करता है
दिल ये इज़हार कहां करता है
Surinder blackpen
इश्क
इश्क
Neeraj Mishra " नीर "
कारोबार
कारोबार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
लड़के हमेशा खड़े रहे
लड़के हमेशा खड़े रहे
पूर्वार्थ
जीवन का इतना
जीवन का इतना
Dr fauzia Naseem shad
सरयू
सरयू
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
कुंडलिया
कुंडलिया
sushil sarna
आस्मां से ज़मीं तक मुहब्बत रहे
आस्मां से ज़मीं तक मुहब्बत रहे
Monika Arora
मतदान से, हर संकट जायेगा;
मतदान से, हर संकट जायेगा;
पंकज कुमार कर्ण
शादी होते पापड़ ई बेलल जाला
शादी होते पापड़ ई बेलल जाला
आकाश महेशपुरी
मां तुम्हें आता है ,
मां तुम्हें आता है ,
Manju sagar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
दिया है नसीब
दिया है नसीब
Santosh Shrivastava
#लघुकविता-
#लघुकविता-
*प्रणय प्रभात*
अपने आप से भी नाराज रहने की कोई वजह होती है,
अपने आप से भी नाराज रहने की कोई वजह होती है,
goutam shaw
हम गांव वाले है जनाब...
हम गांव वाले है जनाब...
AMRESH KUMAR VERMA
Loading...