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18 Sep 2018 · 1 min read

गणपति वंदना (कैसे तेरा करूँ विसर्जन)

गणपति ये ही सोच सोच कर,रहता है व्याकुल मेरा मन।
कैसे तुझको विदा करूँ कैसे मैं फिर से करूँ विसर्जन।
कैसे तेरा करूँ विसर्जन ,कैसे तेरा करूँ विसर्जन

एक बरस के बाद गणेशा,घर में फिर से रौनक आई।
नंगे नंगे पाँवों चलकर ,तुझे गोद में मैं घर लाई।
श्रद्धा से स्थापित करके रोज करूँ मैं पूजा अर्चन।
कैसे तेरा करूँ विसर्जन, कैसे तेरा करूँ विसर्जन।

तेरे आने से ही मेरे घर का कोना कोना महका।
तेरे ही जय जयकारों से घर का रीतापन भी चहका ।
तरह तरह के भोग बनाकर रोज करूँ मैं तुझको अर्पण ।
कैसे तेरा करूँ विसर्जन,कैसे तेरा करूँ विसर्जन।

तूने ही हर कर दुख सारे,भरी सुखों से मन की गागर।
तूने ही लहराया मन में प्रेम भक्ति का गहरा सागर।
बदल गया ये मेरा जीवन जब से तेरा हुआ आगमन।
कैसे तेरा करूँ विसर्जन, कैसे तेरा करूँ विसर्जन।

अब तो अगले बरस लौट कर ही तू मेरे घर आएगा
मेरी आँखों में तो केवल तू ही बसकर रह जायेगा
रीत पड़ेगी मुझे निभानी पर कैसे बहलाऊँ ये
कैसे तेरा करूँ विसर्जन, कैसे तेरा करूँ विसर्जन।

18-09-2018
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

Language: Hindi
Tag: गीत
4 Likes · 2 Comments · 629 Views

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