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16 Oct 2016 · 1 min read

कैसे कहु मेरा देश आजाद है/मंदीप

समझा जाता जहाँ नारी को जूती के समान,
होता जहाँ नारी का हर रोज अपमान,
कैसे कहु मेरा देश आजाद है।

बन्दी पट्टी जिस देश के कानून को,
मिलती नही सजा जहाँ गुनेगारो को,
कैसे कहु मेरा देश आजाद है।

जहाँ जूठ का बोलबाला हो,
जूठा जिस देश का नेता हो,
कैसे कहु मेरा देश आजाद है।

जहाँ युवा पीढ़ी बेरोजगार हो,
जहाँ चलती सिफारिश हो,
कैसे कहु मेरा देश आजाद है।

जहाँ कानून को तोड़ते कानून के रखवाले,
जहाँ न होते मुजरिम कानून के हवाले,
कैसे कहु मेरा देश आजाद है।

जहाँ होती हर रोज चोरी चकारी,
जहाँ होती औरत की बलत्कारी,
कैसे कहु मेरा देश आजाद है।

जहाँ हो पैसे वालो की तरफदारी,
और होती जहाँ गरीब की तिरस्कारि,
कैसे कहु मेरा देश आजाद है।

मंदीपसाई

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