"ज़हन के पास हो कर भी जो दिल से दूर होते हैं।
✍️ नशे में फंसी है ये दुनियां ✍️
23/38.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
*अयोध्या के कण-कण में राम*
दिल टूटा तो हो गया, दिल ही दिल से दूर ।
"आंधी के पानी में" (In the Waters of Storm):
शब्द केवल शब्द नहीं हैं वो किसी के लिए प्राण हैं
ग़ज़ल _ बरबाद ही किया है ।
बायण बायण म्है करूं, बायण म्हारी मात।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
गुनाह लगता है किसी और को देखना
मोक्ष पाने के लिए नौकरी जरुरी
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बदल गई है प्यार की, निश्चित ही तासीर।।
एक गरीब माँ की आँखों में तपती भूख,
*शून्य का शून्य मै वीलीन हो जाना ही सत है *