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11 Aug 2021 · 1 min read

कुछ भी नहीं।

जिंदगी और कुछ भी नहीं,
बस बात है चंद लम्हात की,

आज नहीं तो कल होगी,
कोई घड़ी आख़री मुलाकात की,

मुरझाया है जो आज,
वो गुलशन एक दिन फिर खिलेगा,

चले जाना है जिस जहाँ से एक दिन,
वहां किसी से उलझ के क्या मिलेगा।

कवि-अंबर श्रीवास्तव।

Language: Hindi
Tag: कविता
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