कुछ पुराने पन्ने आज मैं फिर से सजाऊंगी

पुराने पन्ने
कुछ पुराने पन्ने आज मैं फिर से सजाऊंगी
मोहब्बत थी उनसे आज मैं, जगजाहिर करूंगी।
घड़ी घड़ी ख़ुद को निहारा करती थी,
शीशे से बस यूं ही सवाल जवाब किया करती थी।
बैठी बैठी मुस्कुरा दिया करती थी,
पिंजरे में बंद परिंदे यूं ही उड़ा दिया करती थी ।।
खड़ी खड़ी भूत बन जाया करती थी,
खयालों में लेकर नाम उसका यूं ही शर्मा दिया करती थी । तस्वीर रख सामने उसकी घंटों बतियाती थी
हमसफर तक का रास्ता यूं ही तय कर दिया करती थी ।।
छोटी-छोटी बातों पर रूठ जाया करती थी,
मनाने की हर कोशिश होगी यही सोचकर रो दिया करती थी ।शहनाई की आवाज सुनकर अक्सर भाग जाया करती थी सुनहरे ख्वाब सजाकर हसरतों को पाला करती थी ।।
पल पल मोबाइल की बैटरी चार्ज किया करती थी,
कंबल में छिप जब तक नींद ना आए चैट किया करती थी । रात भर बेपनाह इश्क जताया करती थी,
बावली थी इतनी सुबह उठ सुनहरे लम्हों को फिर से जिया करती थी ।।
@seema_tu_hai_na