समक्ष

कुछ पल तो प्रेममय हो,
मौन हो,
सजग भीतर उतर,
दानवों के समक्ष जाना होगा,
झूठी परछाईओं से कब तक बहलेगा,
कितना भी कड़वा हो,
सच के सामने कभी तो आना होगा।
अपना रस्ता भीतर बहती अनंत गंगायों की ओर मोड़,
आज ना जाना किसी मधुशाला की ओर।
डॉ राजीव
कुछ पल तो प्रेममय हो,
मौन हो,
सजग भीतर उतर,
दानवों के समक्ष जाना होगा,
झूठी परछाईओं से कब तक बहलेगा,
कितना भी कड़वा हो,
सच के सामने कभी तो आना होगा।
अपना रस्ता भीतर बहती अनंत गंगायों की ओर मोड़,
आज ना जाना किसी मधुशाला की ओर।
डॉ राजीव