*”कुछ कहा न जाए”*
*”कुछ कहा न जाए”*
*संघर्ष भरा जीवन है ,कृष्ण को पुकारूँ,*
*संकट की इस घड़ी में ,रूठे किस्मत को सँवारुं,*
*सहा भी न जाए कुछ कहा भी न जाए।*
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*कृष्ण जी के दर्शन ,मैं रोज सुबह पाऊँ,*
*माखन मिश्री का भोग मैं लगाऊँ,*
*तेरा तुझको अर्पण क्या तुझे चढाऊँ,*
*चरणों में शीश झुकाकर ,अपनी किस्मत संवार जाऊँ,*
*आप खुद ही हंसा जाए ,रहा भी न जाए कुछ कहा भी न जाए।*
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*साँवली सुरतिया देख मैं दीवानी बन जाऊँ,*
*मुरली की मधुर धुन सुन, मैं सब काम भूल जाऊँ,*
*मस्त मगन होके, मैं तेरे ही गुण गाते जाऊँ,*
*मंझधार में है नैया,मैं राधा कृष्ण को पुकार भवसागर तर जाऊँ।*
*चाहे जग मुझसे रूठे कुछ कहता जाए,*
*तुझ बिन साँवरे रहा भी न जाए कुछ कहा भी न जाए।*
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जय श्री कृष्णा जय श्री राधेय
*”कृष्णा अर्पण मस्तु”*
*शशिकला व्यास*✍️
स्वरचित मौलिक रचना