Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 May 2024 · 1 min read

कुछ कहती है, सुन जरा….!

” कुछ कहती हैं सुन जरा…
नदी,नाले, सरोवर, बांध और झरनें…
हैं हम सब…..
प्रकृति के भाई और बहनें…!
हमें न बिखरो तुम…
विकास के नशे में झूम….!
हो न जाओ तुम…
अपने आप से गुम….!
रुक, ठहर और कुछ सोच जरा…
नदी हैं, नाले हैं, सरोवर-बांध-झरनें हैं…
और ये प्रकृति है ..
तो ये जीवन है हरा-भरा…!
छत और छतरी तो…
कुछ पल और….
कुछ समय का सहारा होता है…!
लेकिन…..!
प्रकृति तो प्रतिक्षण, हरपल…
और हर मौसम सहारा देती है…!
सजा लो ज़रा इसे….
संवार लो ज़रा इसे….!
अन्यथा…
मच जायेगा धरती पर कोहराम…
और…
लग जायेगा…
जीवन की गति में पूर्ण विराम…!

**************∆∆∆************

Language: Hindi
95 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from VEDANTA PATEL
View all
You may also like:
बड़ी अजीब है दुनिया साहब
बड़ी अजीब है दुनिया साहब
Sushil chauhan
काश तुम कभी जोर से गले लगा कर कहो
काश तुम कभी जोर से गले लगा कर कहो
शेखर सिंह
तुम्हारी कहानी
तुम्हारी कहानी
PRATIK JANGID
मना लिया नव बर्ष, काम पर लग जाओ
मना लिया नव बर्ष, काम पर लग जाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ज़िम्मेवारी
ज़िम्मेवारी
Shashi Mahajan
भव्य भू भारती
भव्य भू भारती
लक्ष्मी सिंह
दोहे एकादश ...
दोहे एकादश ...
डॉ.सीमा अग्रवाल
#लघुकविता-
#लघुकविता-
*प्रणय*
Remembering that winter Night
Remembering that winter Night
Bidyadhar Mantry
अब रिश्तों का व्यापार यहां बखूबी चलता है
अब रिश्तों का व्यापार यहां बखूबी चलता है
Pramila sultan
2992.*पूर्णिका*
2992.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरी शान तिरंगा है
मेरी शान तिरंगा है
Santosh kumar Miri
राह इनको दिखाने वाले
राह इनको दिखाने वाले
gurudeenverma198
हृदय पुकारे आ रे आ रे , रो रो बुलाती मेघ मल्हारें
हृदय पुकारे आ रे आ रे , रो रो बुलाती मेघ मल्हारें
Dr.Pratibha Prakash
पैसे की क़ीमत.
पैसे की क़ीमत.
Piyush Goel
"झूठी है मुस्कान"
Pushpraj Anant
जनता को तोडती नही है
जनता को तोडती नही है
Dr. Mulla Adam Ali
जब रंग हजारों फैले थे,उसके कपड़े मटमैले थे।
जब रंग हजारों फैले थे,उसके कपड़े मटमैले थे।
पूर्वार्थ
बोला लड्डू मैं बड़ा, रसगुल्ला बेकार ( हास्य कुंडलिया )
बोला लड्डू मैं बड़ा, रसगुल्ला बेकार ( हास्य कुंडलिया )
Ravi Prakash
रामधारी सिंह दिवाकर की कहानी 'गाँठ' का मंचन
रामधारी सिंह दिवाकर की कहानी 'गाँठ' का मंचन
आनंद प्रवीण
प्रेम महज
प्रेम महज
हिमांशु Kulshrestha
आज़ तेरा है कल मेरा हो जायेगा
आज़ तेरा है कल मेरा हो जायेगा
Keshav kishor Kumar
जय संविधान...✊🇮🇳
जय संविधान...✊🇮🇳
Srishty Bansal
हर ज़ुबां पर यही ख़बर क्यों है
हर ज़ुबां पर यही ख़बर क्यों है
Dr Archana Gupta
अश्रु की भाषा
अश्रु की भाषा
Shyam Sundar Subramanian
एक चाय में बेच दिया दिल,
एक चाय में बेच दिया दिल,
TAMANNA BILASPURI
पढी -लिखी लडकी रोशन घर की
पढी -लिखी लडकी रोशन घर की
Swami Ganganiya
जिसके हृदय में जीवों के प्रति दया है,
जिसके हृदय में जीवों के प्रति दया है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"इन्तजार"
Dr. Kishan tandon kranti
सत्य
सत्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...