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13 Aug 2024 · 1 min read

कुंडलिया

कुंडलिया

कहते सारे हैं यही, सब मतलब के यार
कौन सगा किसका यहां, करते देखा वार।
करते देखा वार, यहां अपने ही जन पर।
दिल जाता है टूट, घाव होता है मन पर।
स्वार्थ से बस प्रीत, लोभ के वश में रहते।
बिना लाभ के लोग, गैर अपनों को कहते।।

डाॅ सरला सिंह “स्निग्धा”
दिल्ली

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