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18 Sep 2022 · 1 min read

किस्तों में खुदकुशी

आम जनता की ज़िंदगी
हाय,किस्तों में खुदकुशी
बनता जा रहा देश यह
अब तो मूर्दों की बस्ती…
(१)
दिल में तो आता है कि
फूंक डालूं व्यवस्था को
देखी नहीं जाती मुझसे
मेहनतकशों की बेबसी…
(२)
इतना नीचे गिर चुका है
अब लोगों का मेयार कि
ख़ुद को इंसान कहने में
होती है मुझे शर्मिंदगी…
(३)
मैं क्या बताऊं आपको
सोचकर भी डर लगता है
जाने कहां ले जाएगी
जवानों को यह मायूसी…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
#नौजवान #जीनियस #बुद्धिजीवी #आज़ादी #अवाम #हल्लाबोल #सच #बेकद्री #talent #lyricist #महंगाई #बेरोजगारी #भ्रष्टाचार

Language: Hindi
Tag: ग़ज़ल
3 Likes · 4 Comments · 67 Views
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