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19 Jan 2023 · 1 min read

किसी ने पूजा मुझे अपना मुकद्दर समझा।

किसी ने पूजा मुझे अपना मुकद्दर समझा।
मुझे परवाह नहीं तुमने जो पत्थर समझा।
**
अलहदा नजरें हैं सबका अलग नजरिया है।
किसी ने बूंद को ही पूरा समंदर समझा।
**
करीब जाने पर हट जाते हैं कई परदे।
हवा का झोंका ही था जिसको बवंडर समझा।
**
और कोई नहीं जो इस तरह हैरान करे।
वक्त से उम्दा किसी को न कलंदर समझा।
**
किस तरह बचते दुश्मनों के तीरों खंजर से।
खुला मैदान था जिस जगह को बंकर समझा।
**
मैंने भी ठान लिया बनके हीरा चमकूंगा।
आप सब ने जो मुझे राह का पत्थर समझा।
**
दिखाई उन सबों ने खुद ही कमतरी अपनी।
जिनकी नजरों ने “नजर” हमको है कमतर समझा।
**
कुमारकलहंस।

Language: Hindi
Tag: गजल
1 Like · 2 Comments · 67 Views
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