*किसकी रहती याद (कुंडलिया)*

*किसकी रहती याद (कुंडलिया)*
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जाते जग से सूरमा ,किसकी रहती याद
दो दिन से ज्यादा नहीं ,आँसू उसके बाद
आँसू उसके बाद , स्वप्न आँखों में पलते
नए दौर में लोग ,मूल्य लेकर नव चलते
कहते रवि कविराय ,वर्ष सौ केवल पाते
दिखलाते हैं खेल ,बाद में सब जन जाते
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*रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा*
*रामपुर (उत्तर प्रदेश )*
*मोबाइल 999761 5451*
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सूरमा = योद्धा , बहादुर