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25 Dec 2022 · 1 min read

किवाड़ खा गई

=====
सबूत भी गवाह भी
किवाड़ खा गई,
जालिम ये दीमक सारी,
मक्कार खा गई।
=====
हराम की थी रातें,
छिपी सी मुलाकातें ,
किसने खिलाये क्या गुल,
गुमनाम सारी बातें।
=====
आस्तीन में छुपे हुए,
गद्दार खा गई ,
जालिम ये दीमक सारी,
मक्कार खा गई।
=====
जिस रोड के थे चर्चे ,
जिस पर हुए थे खर्चे ,
लायें कहाँ से उसको ,
लिख लिख भरे थे पर्चे।
=====
कि झूठ पर फले सब ,
रोजगार खा गई,
जालिम ये दीमक सारी,
मक्कार खा गई।
=====
फाइल में बन पड़ी थी ,
चौपाल की जो बातें,
ना ब्रिज वो दिखती है ,
बस नाम की हीं बातें।
=====
दफ्तर के काले चिट्ठे ,
कारोबार खा गई,
जालिम ये दीमक सारी,
मक्कार खा गई।
=====
अजय अमिताभ सुमन
=====

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