Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Aug 2016 · 1 min read

किया तुमने भी है कल रतजगा क्या ?

किया तुमने भी है कल रतजगा क्या
तुम्हें भी इश्क़ हमसे हो गया क्या

तुम्हें ही देखना चाहे निगाहें
इजाज़त देगा मेरा आइना क्या

मिरा तू मुद्द’आ तू मस’अला थी
बिछा लेता तुझे तो ओढ़ता क्या

यहाँ जिसको भी देखो ज़ोम में है
हमारे शह्र को आखिर हुआ क्या

मिरे अतराफ़ में तेरी सदा थी
तुझे दैरो-हरम में ढूंढता क्या

है तेरे ज़हन में तर्के-तअल’लुक़
तुझे फिर हमसा कोई मिल गया क्या

भटकना जब मेरी क़िस्मत में शामिल
पता सहराओं का फिर पूछना क्या

मैं उसके साथ उड़ता जा रहा था
मिरे पीछे थी वो बहकी हवा क्या

ज़माने पर भरोसा कर लिया है
‘नज़र’ तू हो गया है बावला क्या
नज़ीर नज़र

665 Views

You may also like these posts

हर एक सांस की क़ीमत चुकाई है हमने
हर एक सांस की क़ीमत चुकाई है हमने
Dr fauzia Naseem shad
गीत
गीत
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
नव वर्ष दोहे
नव वर्ष दोहे
Suryakant Dwivedi
ग़ज़ल-ईश्क इबादत का बयां होता है
ग़ज़ल-ईश्क इबादत का बयां होता है
Dr. Alpana Suhasini
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
!! चुनौती !!
!! चुनौती !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
नए ज़माने की सौतन
नए ज़माने की सौतन
Abhishek Paswan
" सच्ची परिभाषा "
Dr. Kishan tandon kranti
"तेरे लिए.." ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
पंचांग (कैलेंडर)
पंचांग (कैलेंडर)
Dr. Vaishali Verma
मुस्कुराकर बात करने वाले
मुस्कुराकर बात करने वाले
Chitra Bisht
कविता
कविता
Rambali Mishra
समय का भंवर
समय का भंवर
RAMESH Kumar
मेरागांव अब बदलरहा है?
मेरागांव अब बदलरहा है?
पं अंजू पांडेय अश्रु
जिंदगी के रंग
जिंदगी के रंग
Kirtika Namdev
पल भर की दोस्ती
पल भर की दोस्ती
Juhi Grover
3817.💐 *पूर्णिका* 💐
3817.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सदा सदाबहार हिंदी
सदा सदाबहार हिंदी
goutam shaw
सियासत में आकर।
सियासत में आकर।
Taj Mohammad
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
sushil sarna
काश - दीपक नील पदम्
काश - दीपक नील पदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
नववर्ष मात्र इतना करना।
नववर्ष मात्र इतना करना।
श्रीकृष्ण शुक्ल
मित्र
मित्र
Dhirendra Singh
..
..
*प्रणय*
खूबसूरत धरा बना देंगे
खूबसूरत धरा बना देंगे
Dr Archana Gupta
प्रसव
प्रसव
Deepesh Dwivedi
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
कभी बहुत होकर भी कुछ नहीं सा लगता है,
कभी बहुत होकर भी कुछ नहीं सा लगता है,
Sunil Maheshwari
मेरे लहज़े मे जी हजूर ना होता
मेरे लहज़े मे जी हजूर ना होता
Ram Krishan Rastogi
Loading...