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2 Sep 2016 · 1 min read

काहे को सताये मोहे ……

काहे को सताये मोहे ……

कौन गाँव से आयो रे तू कौन तेरा देश रे ।
काहे को सताये मोहे तू बदल बदल भेष रे !!

जब जब जाऊं मै जमना के तीर
छलकत जाये मेरी गगरी से नीर
डर डर कर मोरे कदम उठत है
रैन दिवस मनवा में होये क्लेश रे ।।

कौन गाँव से आयो रे तू कौन तेरा देश रे ।
काहे को सताये मोहे तू बदल बदल भेष रे !!

जब जब भोर भये जाऊं पनघट पे
नित मोरी राह निहारे बैठ वो वट पे
शर्म के मारे मोहे आवत बड़ी लाज
कोई बताये कैसे रखूं दामन पाक शेष रे ।।

कौन गाँव से आयो रे तू कौन तेरा देश रे ।
काहे को सताये मोहे तू बदल बदल भेष रे !!

रोज – रोज़ मुझको जो ऐसे वो घेरे
वक़्त बे वक्त लगावे अंगना के फेरे
सखी सहेली मोहे उस नाम से छेड़े
बदनामी से बचने का दे दो मुझे उपदेश रे ।।

कौन गाँव से आयो रे तू कौन तेरा देश रे ।
काहे को सताये मोहे तू बदल बदल भेष रे !!
!
!
!
(डी. के. निवातियाँ )

Language: Hindi
Tag: गीत
4 Comments · 267 Views
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