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29 Oct 2022 · 1 min read

काली सी बदरिया छाई…

किया मुक्त किशोर को सजनी ने,
काली सी बदरिया छाई।
मशगूल था मैं लिखने में,
इतने में तस्वीर नयनों में छाई।

चेहरे पर अचानक फुहार पड़ी,
मौज और मस्ती सी छाई।
हैरान था मैं मौसम से,
क्यों काली बदरिया छाई।

उनके आने से बढ़ती रौनक थी,
या मौसम की फुहार आई।
उस हुस्न अदा के क्या कहने,
नजरों में अचानक छाई।

देखा तो उठाकर नजरों को,
जीवन में जवानी सी छाई।
जुल्फो की घटाओं में छिपकर,
लेती थी सजनी अंगड़ाई।

‘अंजुम’ पूछो न हृदय की गति को,
एक आग हृदय में सुलगाई।
भीगे तो बहुत मगर प्यास न बुझ सकी,
जो आग सजनी ने लगाई।

नाम-मनमोहन लाल गुप्ता
मोहल्ला-जाब्तागंज, नजीबाबाद, बिजनौर, यूपी
मोबाइल नंबर 9152859828

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 56 Views
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