*कार्यकर्ता (गीत)*

*कार्यकर्ता (गीत)*
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तख्तियाँ लेकर चले , बेगार के मजदूर हम
(1)
कार्यकर्ता – भर रहे , सिद्धांत को जीते रहे
आदर्श का अनमोल अमृत, उम्र-भर पीते रहे
नीतियों के प्रति रहे , अर्पित सदा भरपूर हम
(2)
राह में काँटे मिले, या कंकड़ों का पथ मिला
प्यास थी कब स्वर्ण की,कोई नहीं शिकवा-गिला
स्वप्न में जीते रहे , मानो नशे में चूर हम
(3)
हम न नेता-हम न मंत्री ,हम न मंचों पर सजे
जब मिली सत्ता, कभी पाए नहीं कोई मजे
जी – हजूरी का , कभी गाते नहीं दस्तूर हम
तख्तियाँ लेकर चले , बेगार के मजदूर हम
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451