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26 Jul 2019 · 1 min read

कारवाँ रुकता नहीं

कारवाँ चले
सिलसिलेवार चले
कभी पतवार संग
कभी लहर चले
होंगे विरोध बडे
कोई बीच मझदार
कुछ किनारे खडे
फिर भी
कारवाँ चले
सिलसिलेवार चले
तुम डरना मत
हक छोडना मत
प्रकृति जो कहे
करना करते जाना
अस्तित्व देता है
छीनता नहीं
रोना मत
अस्तित्व है अपार बडा.
प्रकृति में हर आयाम नये

Language: Hindi
Tag: कविता
4 Likes · 1 Comment · 196 Views

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