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1 Mar 2024 · 1 min read

काफी ढूंढ रही थी में खुशियों को,

काफी ढूंढ रही थी में खुशियों को,
फिर पता चला,
रास्ता भी तुम और ठिकाना भी तुम।
–kanchan

2 Likes · 153 Views
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