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5 Jun 2023 · 1 min read

काट रहे सब पेड़ नहीं यह, सोच रहे परिणाम भयावह।

काट रहे सब पेड़ नहीं यह, सोच रहे परिणाम भयावह।
मान रहे हर बात नहीं तुम, जान रहे यह काम भयावह।
घोर घटा – घनघोर नहीं पर, नीर बिना अभिराम भयावह।
वृक्ष बिना अति दुष्कर जीवन, स्वास चले बिन धाम भयावाह।।
संजीव शुक्ल ‘सचिन’

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